Tuesday 15 June 2010

भोपाल



भो ....पा....ल
1984 की उस रात को
कैसे करना चाहोगे पारिभाषित -
नियति
दुर्घटना
त्रासदी
या
हत्याकांड????

भो...पा...ल..
कैसा लगता है
न्याय की कतार में खड़े होकर
इंतज़ार करना
हिंदुस्तान के हर शहर,कस्बे
गाँव के साथ ?
बेशक तुम आज़ाद हो
कतार में न खड़े होने के लिए
लेकिन
लोकतंत्र का
संविधान का
तकाज़ा है कि तुम इंतज़ार करो
इंतज़ार करो
नहीं तो बाग़ी करार दिए जाओगे
कतार से इनकार करने वालों कि तरह.
-LP
(image courtesy : Raghu Rai)

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